वाराणसी
काशी कहो या बनारस:- यह एक महानगर के साथ साथ एक धार्मिक तीर्थस्थल भी है|
भारत के उत्तर प्रदेश मे गंगा नदी के किनारे बसा एक प्राचीन महानगर है जिसे हम वाराणशी के नाम से जानते है| हिंदुओं का यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक तीर्थस्थल है| इसके साथ यह बौद्ध और जैन धर्म के लोगों का भी तीर्थस्थल है| हिन्दू धर्म मान्यता मे इसे “अविमुक्त क्षेत्र” भी कहा गया है|
वाराणशी यह नाम दो नदियों के नाम से मिलकर बना है जो की यही की है| जिनके नाम वरुणा एवं असि नदी है| ये दोनों नदियाँ दक्षिण एवं उत्तर की दिशा से आकार गंगा नदी मे मिलती है|
काशी बनारस के मुख्य और प्रशिद्ध मन्दिर
1 श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर
अनादिकाल से भक्तों के दर्शन का केंद्र रहा है ये काशी विश्वनाथ मन्दिर| कविदंतियों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह जब हुआ तब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते थे| वही माँ पार्वती अपने पिता के घर ही रहती थी, जब एक बार भगवान शिव मत पार्वती से मिलने के लिए माँ पार्वती के घर आए तब मत पार्वती ने भगवान शिव से उन्हे अपने साथ लेकर चलने की प्रार्थना की| मत पार्वती की प्रार्थना स्वीकार कर भगवान शिव माँ पार्वती को अपने साथ काशी ले आए और तब से वो यही बस गए|
यह मन्दिर 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है| बाबा विश्वनाथ को विशेस्वर के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है, “विश्व का शाशक”|
युगों युगों से संत और महंत यह दर्शन करने आते रहे है| यह एक भव्य, प्राचीन, शक्तिशाली धार्मिक स्थल है| विश्वनाथ बाबा से पहले उनके गण के दर्शन को अनिवार्य माना जाता है, जिनका नाम बाबा भैरावनाथ है, जिनको काशी के कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है क्युकी कहा जाता है की इनके दर्शन के बिना अगर बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता|
बाबा विश्वनाथ धार्मिक स्थल अंग्रेजों और मुस्लिम सत्ता के समय कई बार नस्ट किया गया और कई बार इसका पुनर्निर्माण किया गया| अंत मे इस मन्दिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्ष 1780 मे कराया| कहा जाता है उसके बाद से कई राजाओ ने यह पूजा पाठ की और बहुत योगदान दिया| अब इस मन्दिर की देख रेख भारत सरकार के हाथों मे सौप दी गई है|
2 संकठा मन्दिर
संकठा माँ के मन्दिर में पाण्डवों ने एक पैर पर खड़े होकेर की थी माँ की उपासना| भक्तों के साथ साथ देवताओं के भी संकट दूर किए है माँ संकठा ने कहा जाता है की माँ संकठा देवी पार्वती का ही स्वरूप है इसलिए जब शिव जी व्याकुल हुए तो उन्होंने भी माँ संकठा की उपासना की तब जाके भगवान शिव की व्याकुलता दूर हुई|
प्रत्येक शुक्रवार को मिलों दूर से भक्तजन माता के दर्शन के लिए आते है और माँ संकठा उनके जीवन मे आने वाले सभी दुखों को दूर कर देती है| कहा जाता है प्रसाद के साथ नारियल और चुनरी चढाने से माँ संकठ प्रसन्न होती है इसलिए भक्त जन प्रसाद के सतह नारियल और चुनरी जरूर लेट है
धार्मिक मान्यता के अनुसार माँ सती के आत्मदाह के समय भगवान शिव बहुत व्याकुल हो गए थे| तब उन्होंने माँ संकठा की आराधना की और उनकी व्याकुलता दूर हो गई थी और माँ पार्वती का साथ मिला था| साथ ही धार्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है की अज्ञातवास के समय पांडव काशी आए थे, और पांचों भाइयों ने मिलकर माँ संकठा की भव्य प्रतिमा को स्थापित किया| और पांचों भाइयों ने एक पैर पर खड़े होकेर, बिना अन्न और जल ग्रहण किए माँ संकठा की आराधना की जिससे माँ प्रसन्न हुई और उनके समक्ष प्रकट होकर उन्हे आशीर्वाद दिया की गऊ मता की सेवा करने से उनके जीवन के दुख और संकट दूर हों जाएंगे और उन्हे लक्ष्मी और वैभव की प्राप्ति भी होगी| और उसी के बाद धार्मिक मान्यताओ मे कहा गया है की महाभारत के युद्ध मे कौरवों को पराजित कर पाण्डवों ने विजय प्राप्त की|
साचें मन से जो भी भक्त माँ संकठ के दर्शन के बाद भक्त गऊ माता के दर्शन अवश्य कर के आशीर्वाद लेते है उनके सभी दुख और संकट दूर हो जाते है|
3 माँ अन्नपूर्णा मन्दिर
बनारस में बाबा विश्वनाथ मन्दिर से कुछ दूरी पर स्थापित है तीनों लोकों की माता अन्नपूर्णा का, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बताया गया है कि माता अन्नपूर्णा ने स्वयं अपने हाथों से भगवान शिव को कहना खिलाया था|
माता अन्नपूर्णा मंदिर का संबंध उज्जैन के हरषिद्ध मंदिर से भी जाना जाता है|
धार्मिक मान्यता है कि प्रातिदन विधि विधान से माँ अन्नपूर्णा की पूजा और उपासना करने से किसी भी विपरीत परिस्थिति में अन्न की कमी नहीं होती है । शास्त्रों में साफ़ कहा हुआ है कि अन्न का सम्मान करना चाहिए और पूजा भी करनी चाहिए। भूलकर भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए अन्न का अपमान करने से माँ अन्नपूर्णा क्रोधित हो जाती है|
4 विश्वनाथ मन्दिर BHU
श्री विश्वनाथ मन्दिर वाराणसी के प्रमुख एवं प्रसिद्ध मंदिरों मे से एक है| दूर दराज से लोग आते है यहा दर्शन के लिए, यह मन्दिर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय B.H.U. मे स्थापित है|
विश्व के सबसे ऊंचे शिखर वाले इस मन्दिर को “बिड़ला” मन्दिर एवं नया विश्वनाथ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है| इस मंदिर को बिड़ला ग्रुप ने बनवाया था जिस कारण इसे हम बिड़ला मन्दिर के नाम से भी जानते है|
5 संकटमोचन मन्दिर
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार बताया गया है की यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है| रामभक्त श्री तुलसीदास जी को यही पर हनुमान जी ने साक्षात दर्शन दिए थे, और उसके बाद हनुमान जी ने मिट्टी के स्वरूप मे खुद को यही पर स्थापित कर लिया| धार्मिक मान्यता के अनुसार बताया गया है की यह मन्दिर लगभग 1631 से 1680 के बीच बनवाया गया था|
श्री राम मंदिर अयोध्या
राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को किया गया था| मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है| राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जो वर्तमान मे भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या मे निर्माणाधीन है| जनवरी 2024 मे इसका गर्भग्रह तथा प्रथम तल बनकर तैयार हुआ और 22 जनवरी 2024 को इसमे श्री राम के बाल रूप मे विग्रह की प्राणप्रतिस्ठा की गई|
अयोध्या राम मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं और कुछ खास बातें :-
राम मंदिर के मूल डिजाइन की योजना अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा बनाई गई| सोमपुरा परिवार ने काम से काम 15 पीढ़ियों से दुनिया भर मे 100 से अधिक मंदिरों के डिजाइन मे योगदान दिया है, जिसमे सोमनाथ मंदिर भी शामिल है| जबकि, 2020 मे वासयू शास्त्र और शिल्प शास्त्रों के संदर्भ मे इसमे कुछ बदलाव किए गए|
मंदिर मे बनाए गए 5 मंडप के नाम –
- नृत्या मंडप
- रंग मंडप
- सभा मंडप
- प्रार्थना मंडप
- कीर्तन मंडप
श्री राम जन्मभूमि मंदिर की कुछ विशेषताएं :-
- मंदिर की लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट है|
- मुख्य गर्भग्रह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार बनाया गया है| मंदिर मे पूर्व दिशा में 32 सीढ़ियाँ चढ़ते ही सिंहद्वार से प्रवेश किया जाएगा|
- मंदिर पारंपरिक नगर शैली मे बना है|
- मंदिर मे 5 मंडप बनाए गए है|
- मंदिर तीन मंजिल है, जिसमें प्रत्येक मंजिल 20 फुट ऊंची है|
- मंदिर मे कुल 392 खंभे और 44 द्वार है|
- मंदिर मे लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है, और न ही धरती के उपर कंक्रीट बिछाई गई है| मंदिर का 70 प्रतिशत क्षेत्र हमेशा हर भर रहेगा|
- मंदिर की दीवारों और खंभों मे देवी और देवताओं की मूर्तिया उकेरी गई है जिस स मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है| दिव्यांग, वृद्ध पुरुषों और महिलयों के लिए लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है|
- मंदिर के चारों ओर आयातकार परकोटा बनाया गया है, चारों दिशाओं मे इसकी लंबाई कुल 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है| परकोटा के चारों कोनों मे भगवान सूर्यदेव, माँ भगवती, गणपित व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है| और उत्तरी भुजा में माँ अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा मे हनुमान जी का मंदिर बनाया गया है|
- मंदिर परिसर मे सीवर ट्रीट्मन्ट प्लांट, वाटर ट्रीट्मन्ट प्लांट तथा अग्निशमन के लिए जल व्ययस्था और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन बनाया गया है ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे|
- दर्शनार्थीयों का समान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा के लिए 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र(pilgrims facility centre) बनाया गया है|
- मंदिर परिसर मे स्नानघर, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन नल आदि की सुविदज दी गयी है| मंदिर का निर्माण करते हुए पर्यावरण-जल सरंक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है|